गावोना , रिझावो ,
( तर्ज : जावो , ना सताओ रसिया ... )
दोहा -१ : प्रीत गयी , नेकी गयी ,
सारा गया ईमान ।
अबतो मिलावट , घूंस है ,
झूठोंका थैमान ।।
दोहा -२ : हाँजी - हाँजी रह गयी ,
करो न चाहे काम ।
ऐसे भारत - भूम की
तुम पत राखो राम ॥
भजन : गावोना , रिझावो भगवान !
लेकिन न छोडो
दिलसे ईमान ! ॥ टेक ॥
भले चाहे न पूजा हो ,
मगर सत्का तकाजा हो ।
दिलमें हो प्रीति
सबकी समान ||
गावोना ... ||१||
गले चाहे न माला हो ,
मगर संयमको पाला हो ।
दुःख हो न किसको ,
बस हो , ये ग्यान ॥ गावोना ...॥ २ ॥
बदनपर हो न हो न चन्दन ।
मगर हो मन करुन - क्रन्दन ।
नहीं हो सिफारस ,
जो मुझमें गुमान ॥ गावोना ... ।।३॥
भले चाहे न हो साथी ,
मगर हो दिल मेरा हाथी ।
कहे तुकड्या ,
सुनो मेरा ज्ञान ! ॥ गावोना ... ।।४।।
मालेगांव , रेल्वे प्रवास ;
दि . ७ - ९ -६२
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